Table Tennis

                        टेबल टेनिस
                      TABLE TENNIS
             टेबल टेनिस का इतिहास।
              History of Table Tennis
आधुनिक टेबल टेनिस की उत्पत्ति कहाँ और कब हुई। इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला। यह एक लोकप्रिय
इंडोर खेल है, जो महिलाओं और पुरुषों द्वारा खेली जाती है। पहले इस खेल का नाम 'गोसिमा' 'Gossima' था। इसके बादे टेबल और बॉल लगने से होने वाली आवाज़ को सुनकर इसका नाम पिंग-पांग 'Ping-Pong' रखा गया। खेल टेनिस की उत्पत्ति 'Origin' के बारे में ग्रेट ब्रिटेन का नाम आगे आता है। 20वीं शताब्दी के अंतिम दशक में पहली बार टेबल टैनिस खेला, ब्रिटेन के साथ यह खेल यूरोप और एशिया के दूसरे देशों में खेला जाने लगा। सन् 1926 में अन्तर्राष्ट्रीय टेबल टैनिस की स्थापना बर्लिन में हुई। इस वर्ष पहले चैम्पियनशिप का आयोजन किया गया। पहले पहल इस खेल में हरगो सोमनिया, चैकोस्लाविया, यूगोस्लाविया आदि का प्रभुत्व था, पर 1950 के दशक में इस खेल में चीन, कोरिया और जापान
ने दक्षता हासिल की और अपना प्रभुत्व दिखाना शुरू कर दिया। संयुक्त राज्य टेबल टेनिस ऐसोसिएशन सन् 1933 में बनाई गई। टेबल टेनिस ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया सन् 1938 में बनी पर बाद में इसको 'टेबल टेनिस' ऑफ इंडिया कहा जाने लगा। एशियाई खेलों में टेबल टेनिस 1958 में शामिल की गई थी। जबकि ओलिम्पिक खेलों में 1988 के सिओत ओलिम्पिक में इस खेल को महत्ता मिली।
खेल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी
(1) टेबल टेनिस के मेज़ की लम्बाई 2.74 मीटर और चौड़ाई 1.52 मीटर होती है।
(2) टेबल टेनिस की खेल दो प्रकार की होती है-सिंगल्ज्ञ तथा डबल्ज ।
सिंगल्स-इसमें कुल खिलाड़ी दो होते हैं। एक खिलाड़ी खेलता है तथा एक खिलाड़ी अतिरिक्त होता है।
डबल्ज- इसमें चार खिलाड़ी होते हैं। जिनमें से दो खेलते हैं तथा दो खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं।
(3) डबल्स खेल के लिए खेलने की सतह (Playing Surface) को 3 सैंटीमीटर चौड़ी सफेद रेखाओं द्वारा
बांटा जाएगा।
(4) टेबल टेनिस को खेल में सिरों तथा सर्विस आदि के चुनाव का फैसला टॉस द्वारा किया जाता है।
(5) टॉस जीतने वाला सर्विस करने का फैसला करता है तथा टॉस हारने वाला सिर का चुनाव करता है।
(6) सिंगल्ज खेल में 2 प्वांइटों के बाद सर्विस बदल जाती है।
(7) मैच की अन्तिम सम्भव गेम में जब कोई खिलाड़ी या जोड़ी पहले 1 प्वांइट कर ले तो सिरे बदल लिए जाते हैं।
(8) मैंच एक गेम, तीन गेमों या पांच में से सर्वोत्तम गेम होता है।
(9) टेनिस के टेबल की लाइनें सफेद होनी चाहिए।
(10) टेनिस के टेवल का शेष भाग हरा होना चाहिए।
(11) टेबल टेनिस की प्रत्येक गेम 11 अंकों की होती है।

मेज (Table)-मेज आयताकार होता है। इसकी लम्बाई 2.74 मीटर तथा चौड़ाई 1.52 मीटर होती है। इसकी ऊपरी सतह फर्श से .76 मीटर उंची होगी। मेज़ किसी भी पदार्थ से निर्मित हो सकता है, परन्तु उसके धरातल पर 30.5 सेंटीमीटर की ऊंचाई से कोई प्रामाणिक गेंद फेंकने पर एक मार ठप्पा खाएगी जो 22 सैंटीमीटर से कम तथा 25 सेंटीमीटर से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए। मेज़ की ऊपरी धरातल को क्रीड़ा तल (Playing
Surface) कहते हैं। यह गहरे हल्के रंग का होता है। इसके प्रत्येक किनारे 0.42 मीटर चौड़ी श्वेत रेखा होगी, 151.25 मीटर के किनारे वाली रेखाएं अन्त रेखाएं तथा 2.74 मीटर किनारे की रेखाएं पार्श्व (साइड) रेखाएं कहलाती हैं। डबल्ज खेल में मेज की सतह 3 मिलीमीटर चौड़ी सफेद रेखा दो भागों में विभक्त होती है जो साइड रेखा के समानान्तर तथा प्रत्येक के समान दूरी पर होती है, इसे केन्द्र रेखा कहते हैं।
जाल (Net)- जाल की लम्बाई 183 सैं० मी० होती है। इसका ऊपरी भाग क्रीड़ा तल (Playing Surface) में 15.25 सैं० मी० ऊँचा होता है। यह रस्सी द्वारा 15.25 सैं० मी० ऊंचे सीधे खड़े डण्डों से बांधा होता है। प्रत्येक डण्डे की बाहरी सीमा उसी पार्श्व रेखा अर्थात् 15.25 सेंटीमीटर से बाहर की ओर होती है।
गेंद (Ball)- गेंद गोलाकार होती है। यह सैल्यूलाइड अथवा प्लास्टिक की सफेद पीली परन्तु प्रतिबिम्बहीन होती है। इसका व्यास 38 मिलीमीटर से कम तथा 40 मि० मी० से अधिक नहीं होता। इसका भार 2.40 ग्रा० से कम तथा 2.53 ग्रा० से अधिक नहीं होता।
रैकेट (Racket)- रैकेट किसी भी आकार या भार का हो सकता है। परन्तु इसकी सतह का 85% भाग की मोटाई
प्राकृतिक लकड़ी की होनी चाहिए।
खेल का क्रम (Order of Play)- एकल (Single) खेल में सर्विस करने वाला (सर्वर) लगातार सर्विस करता है,
चाहे उसका अंक बने या न बने। उसके पश्चात् सर्विस दूसरे खिलाड़ी को मिलती है। इस तरह उसे भी पांच सर्विस करने का हक मिलता है। इस तरह हर पांच सर्विस करने के बाद सर्विस में तबदीली होती है।
दोकल (Double)- खेल में सर्वर सर्विस करता है तथा रिसीवर अच्छी वापसी करेगा। सर्वर का साथी फिर बढ़िया वापसी करेगा और बारी-बारी प्रत्येक खिलाड़ी उसी क्रम से बढ़िया वापसी करेंगे।
उत्कृष्ट (अच्छी ) सर्विस (Good Service)-सर्विस में गेंद का सम्पर्क करता हुआ मुक्त हाथ खुला, अंगुलियां
जुड़ी हुई तथा अंगूठा मुक्त रहेगा और क्रीड़ा तल के लेवल के द्वारा सर्वर गेंद को ला कर हवा में इस प्रकार सर्विस शुरू करेगा कि गेंद हर समय निर्णायक को नज़र आए।
गेंद फिर इस प्रकार प्रहारित होगी कि सर्वप्रथम सर्वर का स्पर्श करके सीधे जाल के ऊपर या आस-पास पार करती हुई पुनः प्रहारक के क्षेत्र का स्पर्श कर ले।
दोकल (Double)- खेल में गेंद पहले सर्वर का दायां अर्द्धक या उसके जाल की ओर की केन्द्र रेखा स्पर्श करके जाल के आस-पास या सीधे ऊपर से गुजर कर प्रहारक के दायें अर्द्धक या उसके जाल की और केन्द्र रेखा स्पर्श करें।
उत्कृष्ट ( अच्छी) वापसी (A Good Return)- सर्विस का निवर्तन (Return) की हुई गेंद खिलाड़ी द्वारा
प्रकार प्रहरित की जाएगी कि वह सीधे जाल को पार करके या चारों ओर पार करके विरोधी के क्षेत्र को स्पर्श कर ले।
बॉल खेल में (Ball in Play)- सर्विस में हाथ द्वारा आगे को बढ़ाने के क्षण में गेंद खेल में मानी जाएगी जब तक
कि जब कोई खिलाड़ी सर्विस करता है या कोई स्ट्रोक मारता है तो उसकी तरफ से खेली गई गेंद विरोधी तरफ से टप्पा खाने की बजाए सीधी उसके रैकेट को लगती है तो उस अवस्था में टेकन होता है तो अंक या स्ट्रोक मारने वाले को मिलता है।
खेल (Game)-खेल उस खिलाड़ी या जोड़े द्वारा जीती हुई मानी जाएगी जो पहले 11 अंक बना लेगा। यदि दोन
खिलाड़ी जोड़े 10 अंक बना लेते हैं तो उस वक्त दोनों खिलाड़ी या जोड़े को क्रमवार एक-एक सर्विस करने के लिए सचेत किया जाता है जो खिलाड़ी या जोड़ा पहले दो अंक विरोधी से अधिक बना लेगा वह विजयी कहलाएगा।
मैच (Match)- मैच एक गेम, तीन गेम या पांच गेम का होगा। खेल निरन्तर जारी रहेगा, जब तक कोई खिलाड़ी या युगल विश्राम के लिए नहीं कहता। यह विश्राम पांच खेल बाले में से तीसरी और चौथी खेल के बीच पांच मिनट से अधिक नहीं होगा। अन्तवर्ती क्षेत्रों में विश्राम एक मिनट से अधिक नहीं होगा। 
दिशा और सर्विस का चुनाव (Selection of Side and Service)—प्रत्येक मैच में दिशा का चुनाव तथा सर्वर या
प्रहारक बनने का अधिकार चुनता है तो विपक्षी को दिशा चुनने का अधिकार होगा। यह रीति विपरीत क्रम में भी रहेगी। टॉस जीतने वाला यदि चाहे तो विपक्षी को प्रथम चयन का अधिकार दे सकता है।
दोकल (Double)-खेल में जिस जोड़े को पहले सर्विस करने का अधिकार होगा वह निश्चित करेगा कि किस सर्धा को ऐसा करना है। इसी प्रकार मैच के प्रथम खेल में विपक्षी जोड़ा भी यह निश्चित करेगा कि किस साथी को पहले सर्विस प्राप्त करना है।
टेबल की माप व खेल उपकरणों का विशिष्ट उल्लेख
(Measurement of Table and Specifications of Sports Equipments)

1. टेबल टेनिस की टेबल का आकार- आयताकार
2. टेबल की चौड़ाई- 1.52 मीटर
3. टेबल की लम्बाई- 2.74 मीटर
4. नैट की लम्बाई- 1.83 मीटर
5. फर्श से टेबल की ऊँचाई- .76 मीटर
6, बॉल का व्यास- 38 से 40 मि०मी०
7. टेबल की सतह से नैट की ऊंचाई- 15.25 मि०मी०
8. बॉल का रंग- सफेद, पीली या मैटी
9.बॉल का भार- 2.40 से 2.53 ग्रा०
10. बॉल का मैटीरियल- सेलुलाइड या प्लास्टिक
11. मैच के दौरान टाइम आउट- 1 मिनट
12. निरंतर गेमों के मध्य अंतराल- 1 मिनट
13. सतह को विभाजित करने वाली रेखा की चौड़ाई जो साइड लाइन्स के सामान्तर होती है।- 3 मि०मी०
14. साइड लाइन्स व अंत रेखा की चौड़ाई- 2 सैं०मी०

महत्त्वपूर्ण टूर्नामेंट्स और स्थान
(Important Tournaments and Venues)
1. ओलिम्पिक टेबल टेनिस चैम्पियनशिप
2. विश्व टेबल टेनिस चैम्पियनशिप
3. एशियन गेम्स टेबल टेनिस चैम्पियनशिप
4. कॉमनवेल्थ खेल टैनिस चैम्पियनशिप
5. राष्ट्रीय टेबल टेनिस चैम्पियनशिप
6. अखिल भारतीय टेबल टेनिस चैम्पियनशिप
टेबल टेनिस के मूल कौशल

(Fundamental Skills of Table Tennis)
1. ग्रिप (Grip)
(क) वैस्टर्न ग्रिप या शेक हँड ग्रिप (Westem Gip or Shake Hand Grip)
(ख) बैक स्पिन सर्विस (Back Spio Servic.)
2. स्ट्रोक्स (Strokes)
3. सर्विस (Service)
(क) टॉप स्पिन सर्विस (Top Spin Service
(ख) पैन होल्ड ग्रिप (Pan Hold Grip)
4. रैक्टिस (Tactis)
5. रिसीविंग (Receiving)
6.बैक स्पिन विद साइड स्पिन (Back Spin with Side Spin)
7. ड्रॉप शॉट (Drop Shot)
8. टैकटिक्स (Tactics)

              टेबल टेनिस की तकनीक

शिखर-स्पिन तथा तल स्पिन सब से महत्त्वपूर्ण स्पिन है। इन स्पिनों में से एक स्पिन तो अवश्य किसी न किसी रूप में खेल में खेली जाती है। शिखर-स्पिन उल्टी दिशा में घुमाव देती है। बहुत से खिलाड़ी तल स्पिन के प्रभाव को प्रतिपेषण करने के लिए बैंक स्पिन, चोप या कट जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। इन दोनों स्पिनों के साथ शॉट में प्राय: कुछ भाग साइड स्पिन का भी रहता है। किन्तु शाट में प्रभावी भाग शिखर स्पिन का तल स्पिन ही रहता है। यह स्पिनें इसलिए भी उपयोगी हैं, क्योंकि ये गेदों के उड़ान-पथ की दिशा में घुमाव देती हैं तथा इस घुमाव का प्रभाव गेंद की उड़ान रेखा तथा उछाल पर भारी रहता है।
 शिखर-स्पिन वाली गेंद के विरुद्ध तल-स्पिन का जवाबी शाट टेबल टेनिस में पहला स्ट्रोक सर्विस है। इस खेल में सर्विस द्वारा स्पिन कराई हुई गेंद काफी महत्ता रखती है। इतना प्वाइंट लेना आवश्यक नहीं जितना कि सही सर्विस करना। खुली हथेली पर गेंद रख कर उसे ऊपर उछाल कर अपने कोर्ट में रैकेट से प्रहार कर अपने ही कोर्ट में टिप्पे लगाने के बाद प्रतिद्वन्द्वी की कोर्ट में नैट पार कर गिरना आवश्यक है। एक बार जब गेंद सही ढंग से ऊपर फेंक दी जाये तब गेंद को रैकेट से स्पिन कराया जा सकता है। इसलिए सर्विस स्पिन के अभ्यास के लिए एक अच्छा माध्यम है। स्पिन द्वारा की हुई सर्विसों से प्रतिद्वन्द्वी पर होने वाले प्रभाव या प्रतिद्वन्द्वी द्वारा किए हुए प्रहार का आप ठीक तरह से मुकाबला कर सकते हैं। यदि आप ने इसका खूब अध्ययन किया है।

1.शिखर-स्पिन सर्विस-सर्विस द्वारा ऊपर से नीचे को आती हुई गेंद पर प्रहार करने के लिए रैकेट को आगे ऊपर को ओर तेजी से बढ़ाओ ताकि यह गेंद के ऊपरी अर्द्ध भाग में लगे। गेंद इस कारण तेजी से आगे को घूमती हुई जायेगी। यह आप की आक्रमक सर्विस होगी।
2. तल स्पिन सर्विस-अपने रैकेट को थोड़ा आगे रखते हुए तेजी से नीचे को लाओ ताकि यह गेंद के निचले अदं भाग में लगे। चोप या कट इस क्रिया लगता है जैसे गेंद की तली में से पतला-सा टुकड़ा काटा जा रहा हो। गेंद के दूसरे टिप्टो पर बैक-स्पिन का प्रभाव स्पष्ट नजर आयेगा।
3. मिश्रित स्पिन सर्विस-रैकेट को घुमा कर गेंद को बुलाने की क्रिया में दिशा परिवर्तन से सर्विस में साइड-स्पिन प्रभावी ढंग से लाई जा सकती है। पर यह याद रहे कि पहले सीधी स्पिन विकसित करना ही ठीक है। यह भी सम्भव है कि स्पिनहीन सर्विस जैसी कोई चीज हो, पर इस के लिए आपको गेंद को बहुत आराम से मारना होगा
और इसे नीचे रखना होगा। विभिन्न प्रकार तथा विभिन्न मात्रा की स्पिन के अतिरिक्त आप सर्विस की लम्बाई और दिशा में भी परिवर्तन ला सकते हैं।
शिखर स्पिन का जवाब-जब गैद तेजी से आपके रैकेट के ऊपर आने लगे तो गेंद को नीचे रखते हुए लौटाने का
1गैद जब ऊपर को जाती हुरहाता है, तब इसे रैकेट से रोका जाता है। से अच्छा तरीका Chop स्ट्रोक है। टेबल की गेंद के लिए सामान्य अवरोध क्रिया की जा सकती है। पर इस के लिए पर गेंद पर झुका हुआ तिरछा होना चाहिए ताकि गेंद की उच्चस्लाने की प्रवृत्ति को रोका जा सके।
तल सर्विस का जवाब-यदि गेंद आप के रैकेट के नीचे तेजी से आती हुई लगे तो इसे शिखर स्पिन द्वारा उठा
अलौटाया जा सकता है। पर यदि गेंद इस ढंग से आये कि शिखर स्पिन स्ट्रोक लगाना कठिन है तो सुरक्षित दंग यही है गेंद को सामान्य ढंग से रोक कर लौटाया जाये। ऐसी स्थिति में रकेट पीछे को झुका हुआ तथा गेंद के बीच होना चाहिए ताकि गेंद लौटाने में नेट में न घुस सके।
मिश्रित स्पिन का मुकाबला-प्रतिद्वन्द्वी के रैकेट के साइड संचालन और गेंद के तिरछे घूमने से आप मिश्रित स्पिन की पहचान कर सकते हैं। इस स्पिन का जवाब ब्लाक-शाट या धीमा चोप शाट है। ऐसी स्थिति में गेंद के धुमाव की दिशा में पमा जाये और गेंद को थोड़ा बाहर की ओर से खेला जाये। नीचे दी गई बातों को ध्यान में रख कर अन्य प्रकार की गेंदों
1. आप बीच में इस प्रकार सन्तुलित खड़े हों कि बेस लाइन तक आसानी से पहुंचा जा सके और किसी भी दिशा में शीघ्र
2. जब सन्देह हो तो गेंद को हल्के से टेबल के मध्य में खेलो।
ब्लॉक या अवरोध-व्लाक करने का तात्पर्य है ऐसे शाट जिन को स्पिन क्रिया प्रयुक्त नहीं होती। ऐसे ब्लाक शॉटों में रेकेट गेंद से सीधे टकराता है, गेंद को मामूली सा धकेलता हुआ या केवल पीछे से लौटता हुआ ऐसे शॉटों को प्रायः पलट शॉट भी कहा जाता है और इसमें हाफ बाली तथा लेट पुश शाट भी सम्मिलित है। 
ब्लॉक क्रिया- अ-चोप किए हुए गेंद को ब्लाक करने के लिए रैकेट पीछे की ढलान की स्थिति में और गेंद पर प्रहार इस के ऊपर उठने की स्थिति में होता है
B-शिखर-स्पिन बाली गेंद को ब्लाक करने के लिए रैकेट आगे को डलान किया हुआ हो।
बैंक-ट ड्राइव के लिए खड़े होने की उत्तम शैली शरीर का भार दाएं पैर पर इस तरह बलान निम्न रूप धारण करेगी।
ब्लॉक  क्रिया की आकृतियां
1.गेंद जब ऊपर को जाती हुई होती है तब इसे रैकेट से रोका जाता है 
 2.अधिकांश शक्ति गॅदको लौटाने में स्वयं गेंद से मिलती है।
 लेट पुश शॉट की क्रिया
(अ) चोप की हुई गेंद को पुश करने के लिए रैकेट, पीछे को ढलान की स्थिति में हैं।
(ब) शिखर-स्पिन वाली गेंद को पुश करने के लिए उदग्र या थोड़ा-सा आगे को है।
लेट पुश शॉट की आकृतियाँ
(1) गेंद जब अपने कोर्ट में टिप्पा खा कर पूरी उछाल पर होती है तो तब इसे 'पुश' किया जाता है।
(2) शक्ति एक सीधी रेखा में आसान ढंग से लगाई जाती है।
हाफ वॉली (Half Volley)-इस शाट में गेंद के टिप्पा खाते ही रैकेट गेंद को ब्लाक करने के लिए बढ़ा दिया जाता
है। इस शाट से विरोधी खिलाड़ी के खेल को असन्तुलित तथा उसकी स्पिन को बड़े प्रभावी ढंग से समाप्त किया जा सकता है। इस शाट के लिए बैकहैंड ग्रिप सब से अच्छी है क्योंकि इससे रैकेट के फलक को उपयुक्त कोण पर रखने में आसान होती है, परन्तु फोरहँड पर भी इस शाट का अभ्यास करना चाहिए।
लेट-पुश शाट-इस शाट-में गेंद को पूरा टिप्पा खा लेने दिया जाता है तथा रैकेट को लम्बे धीरे पुश जैसी क्रिया से
प्रयुक्त किया जाता है। यह शाट विरोधी खिलाड़ी के लिए इतना खतरनाक नहीं है, इस से खिलाड़ी को शाट की तैयारी के लिए काफ़ी समय मिल जाता है। इसको फोरहँड ग्रिप और बैकहैंड ग्रिप दोनों से आसानी से खेला जा सकता है। इस शाट की विलम्बित क्रिया से सुरक्षात्मक और आक्रामक दोनों प्रकार के शाटों के अभ्यास में आसानी रहती है। इन शॉटों के
अभ्यास के लिए नीची लिखी बातें ध्यान में रखे
(1) सर्विस में शिखर-स्पिन तथा बैक-स्पिन का अभ्यास करें।
(2) सर्विस खेल में हाफ वॉली शॉटों का अभ्यास करें।
(3) रैली में फोरहँड तथा वैकहैंड दोनों से धीमे लेट पुश शॉटों का अभ्यास करें। 
जब आप खेल की रैली में औसतन 20 स्ट्रोकों तक रैली को जारी रख सकें तब आप को अपनी मध्य खेल से संतुष्ट होना चाहिए। मध्य खेल का तात्पर्य ऐसे खेल से है जो विशेष रूप से न रक्षात्मक है और न आक्रामक।

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